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क्यों करवाए Mahamrityunjay Mantra का पाठ ?

हिंदू धर्म में मंत्र, जप, यज्ञ आदि का बहुत महत्व माना गया है। शिवपुराण तथा दूसरे कई ग्रंथों में महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjay Mantra) का जिक्र मिलता है। धार्मिक मान्यता है कि महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं। शिव का प्रिय सावन का महीना भी आने वाला है।

 भगवान शिव रक्षक भी हैं और संहारक भी। उनकी मर्जी के बिना कुछ भी संभव नहीं है। सावन मास में उनके सबसे प्रभावी महामृत्‍युंजय मंत्र (Mahamrityunjay Mantra) का जाप करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है। असाध्य रोग से व्यक्ति मुक्त हो जाता है। जीवन पर आई घोर विपदा भी टल जाती है। ऐसा है भगवान शिव का चमत्कारी महामृत्‍युंजय मंत्र (Mahamrityunjay Mantra)। 

भोलेनाथ अपने भक्तों के उद्धार के लिए हमेशा तैयार रहते हैं लेकिन सावन के महीने में शिव भक्तों को उनकी विशेष कृपा मिल पाती है। शिव को प्रसन्न करने में महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjay Mantra) भी अहम भूमिका अदा करता है। सावन के खास महीने में आप भी भगवान शिव का खास आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjay Mantra) का जप करें। जानते हैं कौन कौन से लाभ आपको महामृत्युंजय मंत्र से मिल सकते हैं।

आइए जानते हैं इसके बारे में।

कब करते हैं महामृत्‍युंजय मंत्र (Mahamrityunjay Mantra) का जाप :

भगवान शिव के चमत्कारी महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjay Mantra) का जाप कुछ विशेष स्थितियों में करते हैं। जब किसी व्यक्ति के जीवन पर संकट हो, अकाल मृत्यु, असाध्य रोग, धन हानि आदि का डर हो, तब महामृत्‍युंजय मंत्र (Mahamrityunjay Mantra) का जाप किया जाता है।

कितने तरह के होते है महामृत्‍युंजय मंत्र (Mahamrityunjay Mantra)

महामृत्‍युंजय मंत्र दो प्रकार का होता है। महामृत्युंजय मंत्र या फिर लघु मृत्युंजय मंत्र। इन दोनों ही मंत्रों का जाप किया जाता है।

महामृत्‍युंजय मंत्र (Mahamrityunjay Mantra)

ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ।

लघु मृत्युंजय मंत्र

ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ।

कितनी बार करें मंत्र का जाप

भगवान शिव को रुद्राक्ष प्रिय है। रुद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjay Mantra) या फिर लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए। महामृत्‍युंजय मंत्र (Mahamrityunjay Mantra) का जाप सवा लाख बार और लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप 11 लाख बार करने का विधान है।

सावन सोमवार का दिन अत्यंत उत्तम माना जाता है। आप चाहें तो इस दिन लघु मृत्युंजय मंत्र या महामृत्‍युंजय मंत्र (Mahamrityunjay Mantra) के जाप का प्रारंभ कर सकते हैं। मंत्र जाप में मन और आचरण की शुद्धता के साथ मंत्र का शुद्ध उच्चारण भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। मन को शांत करके इस मंत्र का जाप करना चाहए। मंत्र जाप पूर्ण होने के बाद हवन करने का विधान है।

महामृत्यंजय मंत्र (Mahamrityunjay Mantra) को बहुत ही चमत्कारिक मंत्र बताया गया है। पौराणिक मान्यता है कि इसके जाप से मृत्यु का संकट भी टल जाता है। 

शिव महापुराण के अनुसार शिव मंदिर में महामृत्युंजय जाप अनुष्ठान करने से भक्त को दोगुना पुण्य मिलता है लेकिन काशी के महामृत्युंजय महादेव मंदिर में अनुष्ठान करने से भक्त को अनंत पुण्य मिलता है।

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